बहता चलूँ मै ......उस हवा सा
जो ...कहीं..... अनजान थी .......
भिन्न भिन्न लोगों से ....... मिलकर
कितनो को ...... ......पहचानती
फिर भी .......एक आशा है
मन कि...... पिपासा है ......
खींच लूँ अब .......उस हवा मे ....
जो निहित ......सरलता है ....
सोचता हूँ .........चेहरों को
बस ..........एक सुराही मान लूँ
एक से प्रतीत हों सब ....
भीतर से मै ......अनजान हूँ
प्यासा हूँ जब .......पानी वोह दें
या रेत से भरे रहें ....
उलाहना ....अपेक्षा ...प्रतिशोध से आज़ाद हूँ
विस्मय न हो मुझको कहीं
........... निष्पक्षता से साथ दूँ
विस्मय न हो मुझको कहीं
........... निष्पक्षता से साथ दूँ
बस इस हवा की भांति ही .........
एहसास दूँ ..........बहता चलूँ
बस इस हवा की भांति ही .........
बस इस हवा की भांति ही .........
एहसास दूँ ..........बहता चलूँ ।।।